तर्ज – घुंघरू की तरह
मेरे ओ सांवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया,
जब लगा मैं गिरा,
थामा तूने लिया,
फिर दोबारा ना गिरने दिया,
मेरे ओ साँवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया।
अपनों की कहूं,
क्या मैं तुझसे प्रभु,
कौन अपना है ये,
जानता है भी तू,
डाल मुझ पे नज़र,
तू मेरा हमसफर,
है ये जग को बता दिया,
मेरे ओ साँवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया।
जिसपे पड़ जाती है,
श्याम तेरी नज़र,
डगमगाती नहीं ,
कभी उसकी डगर,
संकटों ने ना फिर,
मुडके उसकी तरफ,
रुख दोबारा कभी भी किया,
मेरे ओ साँवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया।
मेरी है एक अरज,
तुमसे ऐ सांवरे,
देना कुछ भी,
ना देना अहम सांवरे,
गाऊं तेरे मैं गुण,
हर जगह घूम घूम,
श्याम ने क्या से क्या कर दिया,
मेरे ओ साँवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया।
मेरे ओ सांवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया,
जब लगा मैं गिरा,
थामा तूने लिया,
फिर दोबारा ना गिरने दिया,
मेरे ओ साँवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया।
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Mere o sawre tune kya kya nahi kiya,मेरे ओ सांवरे,तूने क्या क्या नहीं किया,shyam bhajan
मेरे ओ सांवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया,