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राधा भजन लिरिक्स radha bhajan lyrics

Priyaju priti prasadi paau,प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ,radha rani bhajan

प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ।

प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ।
जनम-जनम की चेरि तिहारी,
पद-पंकज परिहरि कित जाऊँ॥


यह मन चंचरीक चरनन को,
और कतहुँ कोउ ठाउँ न पाऊँ।
रसत रहत सन्तत रति-रस यह,
यही परम निज भाग्य मनाऊँ॥

प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ।
जनम-जनम की चेरि तिहारी,
पद-पंकज परिहरि कित जाऊँ॥


कृपा-कोर नित रहै तिहारी,
पिय की प्यारी बात सुनाऊँ।
कबहुँ न न्यारी होहुँ छाँह तजि,
तव मृदु मूरति हृदय बसाऊँ॥

प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ।
जनम-जनम की चेरि तिहारी,
पद-पंकज परिहरि कित जाऊँ॥


प्रीतम की हो प्रान-पोसिनी,
हौं हूँ जुगल-जोति नित ध्याऊँ।
जब-जब मिलन चलहु लालन सों
आगे चलि-चलि गेल बताऊँ॥

प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ।
जनम-जनम की चेरि तिहारी,
पद-पंकज परिहरि कित जाऊँ॥


सुमति-कुमति कछु और न जानों,
तुव रति-रसकों नित्य ललाऊँ।
हिये होत अब यही लालसा,
मति न रहै रति हो रह जाऊँ॥

प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ।
जनम-जनम की चेरि तिहारी,
पद-पंकज परिहरि कित जाऊँ॥


लोक जाय परलोक जाय अब,
सुगति-कुगति की कुमति भुलाऊँ।
एकमात्र तुम हो मेरी गति,
तुव रति-रस में ही रम जाऊँ॥

प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ।
जनम-जनम की चेरि तिहारी,
पद-पंकज परिहरि कित जाऊँ॥

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