देख हृदय धर ध्यान बावरे,दुनियां नहीं बलवान ।
होनी होती है बलवान।
गुरु वशिष्ठ ने लगन बताया, रामचंद्र का तिलक सुनाया। तीनों प्राणी चल दिए वन को, दशरथ की गई जान,होनी होती है बलवान।
देख हृदय धर ध्यान बावरे,दुनियां नहीं बलवान ।
होनी होती है बलवान।
द्रोपदी थी अर्जुन की नारी, बीच सभा में साड़ी उतारी। कृष्ण ने आकर चीर बढ़ाया, रख लिया उसका मान,होनी होती है बलवान।
देख हृदय धर ध्यान बावरे,दुनियां नहीं बलवान ।
होनी होती है बलवान।
श्रवण कुमार की सुनो कहानी, गए थे सरयू लेने पानी।राजा दशरथ ने बाण चलाया, लगा कलेजे आन,होनी होती है बलवान।
देख हृदय धर ध्यान बावरे,दुनियां नहीं बलवान ।
होनी होती है बलवान।
हरिश्चंद्र की सुनो कहानी, काशी में जाकर बीके तीनों प्राणी। आप बने चांडाल के चाकर, रोहित की गई जान,होनी होती है बलवान।
देख हृदय धर ध्यान बावरे,दुनियां नहीं बलवान ।
होनी होती है बलवान।
राजा नल की सुनो कहानी, भर आए नैनों में पानी। भुनी मछलियां खाने बैठे, उनमें पड़ गई जान,होनी होती है बलवान।
देख हृदय धर ध्यान बावरे,दुनियां नहीं बलवान ।
होनी होती है बलवान।
सोने की गढ लंका बनाई, होनी के वश सिया चुराई।रामचंद्र ने करी लड़ाई, रावण की गई जान,होनी होती है बलवान।
देख हृदय धर ध्यान बावरे,दुनियां नहीं बलवान ।
होनी होती है बलवान।