तर्ज,मीठे रस सु भरयोडी
लागी लागी रे लगन लागी राधा नाम की। मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
मैं तो आई थी वृंदावन, सखी सहेलियों के संग। दर्शन करके रंग में रंग गई, सखी सांवरिया के संग। तब से चिंता मिट गई सारे घर द्वार की।🌺 मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
लागी लागी रे लगन लागी राधा नाम की। मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
लागी जब से मन में लगन यह, मस्त मगन में डोलू। राग देश छूटा है सबसे, राधे राधे बोलूँ। मेरी छूटी मोह माया, हो गई श्यामा श्याम की।🌺 मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
लागी लागी रे लगन लागी राधा नाम की। मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
प्रेम आनंद के सत्संग से मैं, परम बैरागन हुई। राधा नाम की मांग भरी में तो, शर्म सुहागन हुई। करके ब्रजरज सिंगार हुई छेली गांव की।छेली कुंज गांव की।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
लागी लागी रे लगन लागी राधा नाम की। मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
गोपाली पागल रस का चस्का जिसे लग जाता।उसका मन इस बरसाने के,हर कण में बस जाता।हरी दासी हुई दीवानी,तेरे नाम की।🌺🌺 मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।
लागी लागी रे लगन लागी राधा नाम की। मैं तो हो गई रे दीवानी श्री वृंदावन धाम की।