छलिया छलिया छलिया,
श्याम छलिया बन के आय गयो रे।
बागो गई थी फुलवा तोड़न को,
धर मांलिन का भेष श्याम डलिया लेके आय गयो रे,
छलिया छलिया छलिया,श्याम छलिया बन के आय गयो रे।
तालों गई थी कपड़ा धोवन को,
घर धोबिन का भेष श्याम चुन्दरी लेके आय गयो रे,
छलिया छलिया छलिया,श्याम छलिया बन के आय गयो रे।
कुओ गई थी पनिया भरन को,
धर धीमरीन का भेष श्याम गगरी लेके आय गयो रे,
छलिया छलिया छलिया,श्याम छलिया बन के आय गयो रे।
महलों गई थी खाना बनाने को,
धर कान्हा का भेष श्याम माखन खाने आय गयो रे,
छलिया छलिया छलिया,श्याम छलिया बन के आय गयो रे।
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श्याम छलिया बन के आय गयो रे।