तर्ज, आ लौट के आजा
रटो पार्वती के भरतार,
करेंगे भव से बेड़ा पार।
शिव नंदे के असवार ,
करेंगे भव से बेड़ा पार।
कैलाश के राजा आप महाराजा ,
शोभा बरनी न जाई।
भाव अंग में गौरा संग में ,
शेषनाग लिपटाए।
जटा जूट में गंग की धार ,
करेंगे भव से बेड़ा पार।
रटो पार्वती …..
भष्मासुर ने दे दिया हरी ने,
भष्म करा अतिभारी।
वो दीवाना सोचे दाना,
हर ल्यु शिव कि नारी।
लिया मन में कपट विचार ,
करेंगे भव से बेड़ा पार।
रटो पार्वती …..
शम्भू भागे डर जब लागे,
तीन लोक घबराये |
देवो ने जब पलटी माया ,
विष्णु प्रकट हो आये |
लिया रूप मोहिनी धार,
करेंगे भव से बेड़ा पार।
रटो पार्वती …..
सीताराम राधेश्याम ,
रटता माला तेरी।
आया शरण में पड्या चरण में,
लाज राखियो म्हारी।
शिव निराधार आधार,
करेंगे भव से बेड़ा पार।
रटो पार्वती के भरतार,
करेंगे भव से बेड़ा पार।
शिव नंदे के असवार ,
करेंगे भव से बेड़ा पार।