तर्ज, लो आ गई उनकी याद
लो आ गया अब तो श्याम,
मैं शरण तेरी,
मैं शरण तेरी मैं शरण तेरी,
मैं शरण तेरी मैं शरण तेरी,
लों आ गया अब तों श्याम,
मैं शरण तेरी।।
जाने कहाँ कहाँ पर,
भटका तेरा दीवाना,
दर ये तुम्हारा बाबा,
मेरा आखरी ठिकाना,
जिसपे किया भरोसा,
उसने ही आंख फेरी,
लों आ गया अब तों श्याम,
मैं शरण तेरी।।
मुझे थाम ले दुखो से,
आया हूँ हार कर के,
थक सा गया हूँ बाबा,
जग को पुकार कर के,
एक आस दिल में मेरे,
बाकी है श्याम तेरी,
लों आ गया अब तों श्याम,
मैं शरण तेरी।।
चरणों की धूल दे दे,
मुझको भी हे दयालु,
भटका हूँ जिसकी खातिर,
सच्ची ख़ुशी वो पा लूँ,
ऐ ‘हर्ष’ तू बता दे,
किस बात की है देरी,
लों आ गया अब तों श्याम,
मैं शरण तेरी।।