नबिजया वेद क्या देखे ,
मुझे दिल की बिमारी है।
कभी कफ रोग बतलाये ,
कभी तासीर गरमी की।
जिगर का हाल तू मेरा ,
ना जाने तू अनाडी है।
नबजिया वैद क्या देखे ,
मुझे दिल की बिमारी है।
सनम कि मोहिनी मूरत ,
बसी दिल बीच में मेरे।
न मन में चैन है तन की ,
खबर सारी बीमारी है।
नबजिया वैद क्या देखे ,
मुझे दिल की बिमारी है।
असर करती नहीं कोई ,
दवाई हकीमिया तेरी।
बिना दीदार दिलबर के ,
मिटे नहीं बेकरारी है।
नबजिया वैद क्या देखे ,
मुझे दिल की बिमारी है।
अगर दीदार को मेरे ,
मिलावे तू कभी मुझसे।
वो मुरलीधर गुण तेरा
करू में यादगारी है।
नबिजया वेद क्या देखे ,
मुझे दिल की बिमारी है।
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Nabajiya ved kya dekhe mujhe Dil ki bimari hai,क्या देखे ,मुझे दिल की बिमारी है,krishna bhajan
क्या देखे ,
मुझे दिल की बिमारी है।