प्रथमेश तुम हो विघ्नेश तुम हो, तुमही हो श्री गजानन।नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
तुम ज्ञानदाता बुद्धि प्रदाता, गौरा के सूत् दुलारे। देवों के देव महादेव के तुम, सदा रहे हो दुलारे।। बलवान तुम हो, विद्वान तुम हो, मूरख सुजान करते।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 बाधाएं हरते, सब सिद्ध करते, मंगल सदा ही करते। उसका सदा ही तुम ध्यान रखते, कर देता जो समर्पण।।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
प्रथमेश तुम हो विघ्नेश तुम हो, तुमही हो श्री गजानन। नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
एकदंत तुम हो, भगवंत तुम हो, कल्याणकारी देवा। जो भी पुकारे, देते सहारे, तुम पीड़ा हारी देवा।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 रिद्धि भी तेरी सिद्धि भी तेरी शुभ लाभ तेरी देवा। उजियारा देके, हर लेते पल में, उसका अंधेरा देवा।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 सेवा में तेरी, श्रद्धा से भाव, भक्ति करे जो अर्पण।नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
प्रथमेश तुम हो विघ्नेश तुम हो, तुमही हो श्री गजानन। नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
मूषक सवारी, देवा तुम्हारी, लड्डुओं का भोग भाये। साकार सपने, हो जाए उनके, जो कीर्ति है गाए।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 तुम लाभ देकर, समृद्धि देते, हानी से तुम बचाते। सब काज सिद्ध, हो जाते मेरे, शुभ लाभ तुम बनाते।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 तेरी कृपा से, खिल जाते हैं, मुरझाए सारे उपवन।नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
प्रथमेश तुम हो विघ्नेश तुम हो, तुमही हो श्री गजानन। नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
खुशियों का सार, महिमा अपार, तेरी है शिव के नंदन। गूंजे है नाम, तेरा चारों धाम, हो तीनो लोक बंदन।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वेदों के ज्ञाता तू ही विधाता, हे पाप हरने वाला। अवगुण मिटा के, पावन बना के, हे पाप हरने वाला। अनुकंपा तेरी, रहती सदा है, साधक पर शिव के नंदन।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।
प्रथमेश तुम हो विघ्नेश तुम हो, तुमही हो श्री गजानन। नायक हो तुम, विनायक हो तुम, गणराय हे गजानन।