तर्ज,मानो तो में गंगा मां हूं
मानो तो मैं कृष्ण कन्हैया, ना मानो तो बस एक ग्वाला। दो तीन ग्वालों के संग में, गैया चराने वाला।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मानो तो मैं कृष्ण कन्हैया, ना मानो तो बस एक ग्वाला।
जेल में जन्म लिया था मैंने, पहरेदार सुलाए। पिता ने टोकरी में बैठाया, नंद महल पहुंचाए।में जन्म लेते ही भक्तों,लीला दिखलाने वाला।🌺🌺मानो तो मैं कृष्ण कन्हैया, ना मानो तो बस एक ग्वाला।
मुझे मारने पूतना आई, मुझे जहर का दूध पिलाई। मैंने प्राण थे उसके खींचे, बैकुंठ लोक पहुंचाई। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺असुरों को मैंने मारा मैं नाग नथाने वाला।मानो तो मैं कृष्ण कन्हैया, ना मानो तो बस एक ग्वाला।
जब कंस ने मुझको भक्तों मथुरा में था बुलवाया। कुब्जा का तारण करने, दाऊ संग मथुरा आया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 मामा कंस को युद्ध भूमि में, मैं हूं संघारने वाला।मानो तो मैं कृष्ण कन्हैया, ना मानो तो बस एक ग्वाला।