गौरा रूठ गयीं, मायके चली गईं, ताला लग गयो कुठरिया में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 भोला अब न आऊं नगरिया में।
रोज रोज भोला, कैलाश घुमावे। चलो न जाये, पांव पिरावें।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺चढ़ न पाऊं चढ़ैया मैं। भोला अब न आऊं नगरिया में।
रोज रोज भोला मोपे, भांग पिसवावे।लोढ़ा टूट गयो, सिल भी चटक गयो, लग गई चोट ऊंगरिया में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 भोला अब न आऊं नगरिया में।
रोज रोज भोला मोपे, पानी भरवावे।गगरी फूट गयी, पानी में रपट गई, आय गई मोच कमरिया में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 भोला अब न आऊं नगरिया में।
रोज रोज भोला मोपे, रोटी बनवावे। चकला बेलन टूट गयो, तवा भी फूट गयो, जल गई उंगली अंगरिया में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 भोला अब न आऊं नगरिया में।
गौरा रूठ गयीं, मायके चली गईं, ताला लग गयो कुठरिया में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 भोला अब न आऊं नगरिया में।