तर्ज,घणी दूर से भाग रहयो तेरी गाडूली के लार
उछल उछल कर ग्वाला नाचे,नाथ लियो फुसकार। फन पर नाचत,मोहन कृष्ण मुरार।
गेंद खेलने कान्हा गयो, यमुना तट पर।२। खेल खेलमें, गेंद गई यमुना अंदर।🌺🌺🌺 गेंद के संग ही कान्हा धायो, मच गई हाहाकार।फन पर नाचत,मोहन कृष्ण मुरार।
उछल उछल कर ग्वाला नाचे,नाथ लियो फुसकार। फन पर नाचत,मोहन कृष्ण मुरार।
चल चल चल भाई मात यशोदा, जल्दी चल।तेरो लाला कूद गयो, यमुना अंदर। इतनी सुनकर मात यशोदा, मारी है पुकार।फन पर नाचत,मोहन कृष्ण मुरार।
उछल उछल कर ग्वाला नाचे,नाथ लियो फुसकार। फन पर नाचत,मोहन कृष्ण मुरार।
नाग कालिया नाथ लिया, जल के अंदर। ठुमक ठुमक कर नाच रहे, फन के ऊपर। इतनी सुनकर ग्वाल बाल सब, बोले जय जयकार।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺फन पर नाचत,मोहन कृष्ण मुरार।
उछल उछल कर ग्वाला नाचे,नाथ लियो फुसकार। फन पर नाचत,मोहन कृष्ण मुरार।