तर्ज,जबसे देखा तुझे मुरलीवाले
मैया चेहरे से घुंघट हटा दो,मैने जी भरकर देखा नहीं है।मैने जी भरकर देखा नहीं है।मैने जी भरकर देखा नहीं है।🌺🌺🌺🌺मैया चेहरे से घुंघट हटा दो,मैने जी भरकर देखा नहीं है।
मैने माना गुनहगार हूं मैं, फिर भी दर पर दौड़ी चली आई। सिर झुका कर तेरे दर पर खड़ी हूं, माफी मांगन के काबिल नहीं हूं।मैया चेहरे से घुंघट हटा दो,मैने जी भरकर देखा नहीं है।
ऐसा कोई भी दामन नहीं है, जिस दामन में धब्बा नहीं है। फिर भी मैया मेरे गुनाहों की, सजा माफी के काबिल नही है।🌺🌺🌺मैया चेहरे से घुंघट हटा दो,मैने जी भरकर देखा नहीं है।
तेरी तारीफ यूं ही नहीं है, डूबता को दिया है सहारा। मेरी नैया भंवर में फंसी है, पार लगने के काबिल नहीं है।🌺🌺🌺🌺🌺मैया चेहरे से घुंघट हटा दो,मैने जी भरकर देखा नहीं है।
सारी दुनियां में ढूंढा तुम्हे मां,अब जाकर के दीदार हुवा है। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺आगयी हूं तुम्हारी शरण में,वापिस जाने के काबिल नही है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मैया चेहरे से घुंघट हटा दो,मैने जी भरकर देखा नहीं है।