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श्याम भजन लिरिक्स

Na pushpo ke haar,na sone ke darwar, ना पुष्पों के हार, ना सोने के दरबार,shyam bhajan

ना पुष्पों के हार, ना सोने के दरबार,ना चांदी के सिंगार

तर्ज,ना कजरे की धार

ना पुष्पों के हार, ना सोने के दरबार,ना चांदी के सिंगार,श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।

मन में सच्चा प्यार,और सीधा सा व्यवहार,ना अहम कोई विचार,श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।

जो पुष्प न पास तुम्हारे,वाणी को पुष्प बनालो।पुष्पों के हार बनाके,चरणों में इनके चढ़ा दो।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺खुश होकर मेरे बाबा,कर लेंगे इसे स्वीकार।

ना पुष्पों के हार, ना सोने के दरबार,ना चांदी के सिंगार,श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।

जब श्याम कृपा हो जाती,मिट्टी सोना बन जाती।सोने में श्याम न मिलता,ये मीरा हंस हंस गाती।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺महलों को उसने छोड़ा,तब पाया श्याम का प्यार।

ना पुष्पों के हार, ना सोने के दरबार,ना चांदी के सिंगार,श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।

सांवरिया उस घर मिलते,जहां प्रेम के पुष्प खिलते।दिनों के भेष में बाबा,भक्तों से मिलने निकलते।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺बाबा को वो ही पाए,दिनों से जो करे प्यार।

ना पुष्पों के हार, ना सोने के दरबार,ना चांदी के सिंगार,श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।

जो छल लेकर यहां आता,वो खुद ही छला जाता।तेरी लीला अजब निराली,तेरा भक्त सदा ही गाता।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरे बाबा किरपा करना,तुम देखो मेरे यार।

ना पुष्पों के हार, ना सोने के दरबार,ना चांदी के सिंगार,श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।श्याम तो प्रेम के भूखे हैं।

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