तर्ज,गुरुजी मेरे मन मंदिर में रहियो
राणाजी तेरे महलों में आग लगे।२में तो चली वृंदावन मेरे,सोए भाग जगे।🌹🌹🌹राणाजी तेरे महलों में आग लगे।२।
घांस फूस की, कुटिया बनाऊंगी। उसमें सांवरिया का,मंदिर बनाऊंगी।🌹🌹🌹🌹 हरे भरे उपवन में मेरे,तुलसी के बाग लगे।राणाजी तेरे महलों में आग लगे।
ना चाहिए तेरे महल मालिए।ना चाहिए तेरे हीरे मोती।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹रखले सारे सुख महल के,मुझको घाव लगे।राणाजी तेरे महलों में आग लगे।
गोविंद का में नाम जपूंगी।श्याम को अपने मन में रखूंगी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹छोडूं ना अब में मोहन को,चाहे दाग लगे।राणाजी तेरे महलों में आग लगे।
कितना ही तूं मुझे सताले।विष का प्याला और पीला ले।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नटनागर जब साथ है मेरे,सारे कष्ट भगे।राणाजी तेरे महलों में आग लगे।