तर्ज,जरा चल के वृंदावन में देखो
जब कभी तुमको आवाज दूं में,सांवरे तुमको आना पड़ेगा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹है कसम तुमको मुरली की तेरी,साथ मेरा निभाना पड़ेगा।
तुमको सौगंध है श्याम मेरी,लाज मेरी बचानी पड़ेगी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹खाकर ठोकर अगर में गिरूं तो,आकर मुझको उठाना पड़ेगा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹है कसम तुमको मुरली की तेरी,साथ मेरा निभाना पड़ेगा।
बन गई प्रीत यह द्रोपदी सी,और कौरव बना है जमाना।इन दानव के हाथों से मुझको,आके तुमको छुड़ाना पड़ेगा।🌹🌹है कसम तुमको मुरली की तेरी,साथ मेरा निभाना पड़ेगा।
जिंदगी की ये राहें कठिन है,और समय ने हैं कांटे बिछाए।मेरी राहों से कांटे गमों के,श्याम तुमको हटाना पड़ेगा।🌹🌹🌹है कसम तुमको मुरली की तेरी,साथ मेरा निभाना पड़ेगा।
जब कभी तुमको आवाज दूं में,सांवरे तुमको आना पड़ेगा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹है कसम तुमको मुरली की तेरी,साथ मेरा निभाना पड़ेगा।