सज रही गली तेरी कान्हा,गोकुल नगरी में।गोकुल नगरी में,वृंदावन नगरी में।२।🌹🌹सज रही गली तेरी कान्हा,गोकुल नगरी में।
जशोदा तेरे कान्हे की,अजब है बात।२।काला काला मुखड़ा,और छोटे छोटे हाथ।२।सज रही गली तेरी कान्हा,गोकुल नगरी में।
भादौ का महीना, हांजी।🌹अष्ठमी तिथि हांजी।🌹थी जेल देवकी, हांजी।🌹सब खेल कुदरत का,हांजी।🌹सो गए रखवाले,हांजी।🌹खुल गए सब ताले,हांजी।🌹जब जन्मे कन्हैया,हांजी।🌹 डर रही थी मैया,हांजी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹सर टोकरी उठाया,उसमे कान्हे को सुलाया।२।चल रहे वसुदेव बाबा,अंधेरी डगरी में।
सज रही गली तेरी कान्हा,गोकुल नगरी में।गोकुल नगरी में,वृंदावन नगरी में।२।🌹🌹सज रही गली तेरी कान्हा,गोकुल नगरी में।
वो रात अंधेरी,हांजी।🌹हो रही थी देरी,हांजी।🌹 रस्ते में जमुना,हांजी।🌹सब तरफ था सुना,हांजी।🌹जमुना थी आतुर,हांजी।🌹दर्शन को व्याकुल,हांजी🌹वो धन्य हो गई,हांजी।🌹और नीचे सो गई,हांजी।🌹🌹🌹🌹🌹चंदा हुवा मस्ताना,उस रात जमके सोया।२।पहुंच गए वसुदेव बाबा,गोकुल नगरी में२।