Categories
कीर्तन

Hari om tatsat, हरी ॐ तत्सत,kirtan

हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत

हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत। जपाकर,जपाकर,जपाकर, जपाकर।हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

हरिओम में इतनी शक्ति भरी है, चरण के छूने से अहिल्या तरी है। २।🌹🌹🌹🌹 पुकारा था दिल से, यही नाम उसने।२।🌹 हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

जो दुष्टों ने लोहे का खंभा रचा था। तो प्रह्लाद निर्दोष क्यों कर बचा था। २।🌹🌹 करी थी विनय एक स्वर में जो उसने। २।हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

जो राणा ने विष का प्याला दिया था। तो उस विष को अमृत किसने किया था।२। दीवानी थी मीरा,इसी नाम की जो।२।🌹हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

कहो नाथ शबरी के घर कैसे आए।जो आए तो फिर बैर जूठे क्यों खाए। २।🌹🌹🌹 जुबां पर यही था हृदय में यही था। २।🌹हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

हरिओम में इतनी शक्ति भरी थी। गरुड़ छोड़ धाएं, न देरी करी थी। 🌹🌹🌹🌹पुकारा था गज ने यही नाम भीतर।🌹🌹हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत। जपाकर,जपाकर,जपाकर, जपाकर।🌹🌹हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

सभा में खड़ी द्रोपदी रो रही थी। और रो-रो कर आंसुओं से मुख धो रही थी। 🌹🌹🌹 बढा चीर उसमे यही रंग रंगा था।🌹🌹🌹हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत। जपाकर,जपाकर,जपाकर, जपाकर।🌹🌹हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

लगी आग लंका में हलचल मची थी। तो कुटिया विभीषण की कैसे बची थी।🌹🌹 लिखा था यही शब्द कुटिया पर उसके।🌹 हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत। जपाकर,जपाकर,जपाकर, जपाकर।🌹🌹हरी ओम तत्सत,हरी ओम तत्सत।

Leave a comment