जय शिव शंकर जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय कैलाशी जय अविनाशी,सुखरासि सुखसार हरे।
जय शशि शेखर,जय डमरूधर,जय जय प्रेमागार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय त्रिपुरारी जय मदहारी,अमित अनंत अपार हरे।
निर्गुण जय जय सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
जय रामेश्वर जय नागेश्वर,वैधनाथ केदार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मल्लिकार्जुन सोमनाथ जय,महाकाल ओंकार हरे।
त्रयंबकेश्वर जय घुश्मेश्वर,भीमेश्वर जगतार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹काशीपति श्री विश्वनाथ जय,मंगलमय अधहार हरे।
नीलकंठ जय भूतनाथ,मृत्युंजय अविकार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
जय महेश जय जय भवेश,जय आदिदेव महादेव विभो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹किस मुख से हे गुणातीत प्रभु,तब महिमा अपार वर्णन हो।
जय भवकारक तारक हारक, पातक दारक शिव शंभो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दिन दुःखहर सर्व सुखाकर,प्रेम सुधाकर शिव शंभो।
पार लगा दो भवसागर से, बनकर करुणा धार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
जय मनभावन जय अतिपावन,शोक नसावन शिव शंभो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 सहज वचन हर, जलज नयन वर,धवल वरण तन शिव शंभो।
मदन कदन कर पाप हरण हर,चरण मनन धन शिव शंभो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹विवसन विश्वरूप प्रलयंकर,जग के मूलाधार हरे।पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
भोलानाथ कृपालु दयामय, औघड़ दानी शिवयोगी। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नीमित्र मात्र में देते हैं, नवनिधि मनमानी शिव योगी।
सरल हृदय अति करुणा सागर, अकथ कहानी शिव योगी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 भक्तों पर सर्वस्व लुटा कर, बने मसानी शिव योगी।
स्वयं अकिंचन जनमन रंजन, पर शिव परम उदार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
आशुतोष इस मोहमयी निद्रा से,मुझे जगा देना। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹विषय वेदना से विषयों को, मायाधीश छुड़ा देना।
रूप सुधा की एक बूंद से, जीवन मुक्त बना देना। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दिव्य ज्ञान भंडार युगल, चरणों में लगन लगा देना।
एक बार इस मन मंदिर में, कीजे पद संचार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
दानी हो दो भिक्षा में, अपनी अनपायनी भक्ति प्रभो। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹शक्तिमान हो दो तुम अपने, चरणों में अनुरक्ति प्रभो।
पूर्ण ब्रह्म हो दो तुम अपने, रूप का सच्चा ज्ञान प्रभो। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹स्वामी हो निज सेवक की, सुन लेना करुण पुकार हरे।पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
तुम बिन व्याकुल हुं प्राणेश्वर, आ जाओ भगवंत हरे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹चरण शरण की बांह गहो, हे उमा रमण प्रियकंत हरे।
विरह व्यथित हूं दिन दुखी हूं, दीन दयालु अनंत हरे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमंत हरे।
मेरी इस दयनीय दशा पर, कुछ तो करो विचार हरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पार्वती पति हर हर शंभो, पाहि पाहि दातार हरे।
ॐ नमः शिवाय