चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा,गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
लोटा और डोरी कांधे पे लटकाये,चावल की पोटली बगल में दबाये।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पहुंचे हैं जाकर द्वारिका पुरी धामा।गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
विप्र सुदामा जो द्वारे पे आये।छोड़ सिंहासन श्री कृष्ण जी धाएं।सीने से सीना मिलाए घनश्यामा।गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
हंस हंस के पूछे वो कृष्ण कन्हाई।कहो भेंट भेजी,क्या है भोजाई।चावल की पोट, छुपाए सुदामा।गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
रहो कुछ दिन श्यामा के संग में सुदामा।बहुत दिन से आए हो, कृष्णा के धामा।आ जाओ यहीं पर,रहो आठों यामा।गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
विदा मांगकर फिर सुदामा चला है।मगर उसको अपना,घर ना मिला है।महल जो खड़े हैं,झोपड़ियों के ठामां।गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
नारी शुशीला जो द्वारे पे आई।पति को जब देखा,विरह ये सुनाई।आओ स्वामी हर ने,दिया है धन धामा।गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
तब जो सुदामा जी महलन को धाएं।प्रेम से बैठे, हरी गुण गाए।भक्तों सभी बोलो,जय सियारामा।गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।
चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा,गाते चले मन में हरे कृष्ण रामा।