दोहा:श्री गुरु चरनन ध्यान धरि,सुमिरी सच्चिदानंद।श्याम चालीसा भणत हूं,रच चौपाई छंद।
श्याम श्याम भजी बारंबारा,सहज ही हो भवसागर पारा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹इन सम देव न दूजा कोई,दीनदयालु न दाता होई।
भीम सुपुत्र अहिलावती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 यह सब कथा सही कलपांतर, तनिक न मानो इस में अंतर।
बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनूज तनु धारा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹वासुदेव देवकी पियारे, यशोमती छैया नंद दुलारे।
मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹सियाराम श्री हरी गोविंदा, दीनदयाल श्री बालमुकुंदा।
दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नरहरी रूप प्रहलाद पियारा, खंभ फाड़ी हिरण्यकुश मारा।
राधावल्लभ रुक्मण कंता, गोपी वल्लभ कंस हनंता। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मनमोहन चित चोर कहाये, माखन चोरी चोरी कर खाये।
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा, कृष्ण पतित पावन अभीरामा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मायावती लक्ष्मीपति ईशा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
विश्वपति जय भुवन पसारा, दीनबंधु भक्तन रखवारा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹प्रभु का भेद ना कोई पाया, शेष महेश थके मुनिराया।
नारद शारद ऋषि योगिंदर, श्याम श्याम सब रटत निरंतर।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कवि कोविद करी न सके गीनंता,नाम अपार अथाह अनंता।
हर सृष्टि हर युग में भाई, लीन अवतार भक्त सुखदाई। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹हृदय माही करी देखू विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा।
कीर पढ़ावत गणिका तारी,भीलनी की भक्ति बलिहारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹सती अहिल्या गौतम नारी, भाई श्राप वश शीला दुखारी।
श्याम चरण रज में चित्त लाई,पहुंची पति लोक में जाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अजामिल अरु सदन कसाई,नाम प्रताप परम गति पाई।
जाके श्याम नाम आधारा,सुख लहहीं दुःख दूर हो सारा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्याम सुलोचन है अति सुंदर, मोर मुकुट सिर धन पीतांबर।
गल वैजयंती माल सुहाई,छबि अनूप भक्तन मन भाई। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्याम श्याम सुमिरहूं दिन राती, शाम दुपहरी अरु परभाती।
श्याम सारथी जिस के रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्याम भक्त न कहीं पर हारा, भीड़ पड़ी तो श्याम पुकारा।
रसना श्याम नाम रस पीले, जी ले श्याम नाम के ही ले। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹संसारी सुख भोग मिलेगा, अंत श्याम सुख योग मिलेगा।
श्याम प्रभु है तन के काले, मन के गोरे भोले भाले। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्याम संत भक्तन हितकारी,रोग दोष अघ नाशै भारी।
प्रेम सहित जो नाम पुकारा, क्षण में हो भवसागर पारा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 खाटू में है मथुरा वासी, पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी।
सुधा तान भरी मुरली बजाई, दिल्ली प्रांत जहां सुनी पाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹वृद्ध बाल जेते नारी नर,मुग्ध भए सुनी बंसी के स्वर।
हर वर कर पहुंचे सब जाई,खाटू में जंह श्याम कन्हाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जिसने श्याम स्वरूप निहारा,भव भय से पाया छुटकारा।
श्याम सलोने सांवरे,बर्बरीक तनु धार।इच्छा पूरण मेरी प्रभु,करो ना लाओ बार।