तर्ज,अपने पिया की में तो बनी रे
आओ जी आओ घर का, देव मनावा। पीतराके धोक लगावा जी। घर का देव मनावा।
पितरा के नाम को, गूंजे जयकारो है। पीतराने पूजा हां जी, भाग्य हमारो है। पिंडे में दिवलो महे जलावा जी ।घर का देव मनावा।आओ जी आओ घर का, देव मनावा।
जय जय जय जय, पितर जी हो थारी। थारी ही शरण आया, लाज रखो म्हारी। थारो ही आशीर्वाद पावा जी। घर का देव मनावा।आओ जी आओ घर का, देव मनावा।
पितर जी के नाम को,महे नारियल बधारॉ। पितर जी किरपा से सगला काज सुधारा।सब मिल थारा गुण गावा जी,घर का देव मनावा।आओ जी आओ घर का, देव मनावा।