तर्ज,बाबुल का ये घर
मैया नवरातों में, जब धरती पर आती है ।२।किसको क्या देना है, यह सोचकर आती है।
पहले नवरातों में,मां सबकी खबर लेती। दूजे नवरातों में, अपने खाते में लिख लेती।🌹 तीजे नवरातों में, बात आगे बढ़ाती है। मैया नवरातों में, जब धरती पे आती है।
चौथे नवरातों में, मां आसन लगाती है ।पांचवे नवरातों में, आ गई हूं बताती है।🌹🌹🌹🌹 छठे नवरातों में, सबको दर्शन कराती है। मैया नवरातों में, जब धरती पे आती है।
सातवें नवरातों में, खोल देती खजाने हैं। आठवें नवरातों में, लग जाती लुटाने है।🌹🌹नवे नवरातों में, दोनों हाथों से लुटाती है।मैया नवरातों में, जब धरती पर आती है।
दसवें नवरातों में, मां की विदाई जब आती है। सारी धरती के लोगों की,आंखें भरभर आती है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 भक्तों फिर आऊंगी, वादा करके चली जाती है।मैया नवरातों में, जब धरती पर आती है।
मैया नवरातों में, जब धरती पर आती है ।२।किसको क्या देना है, यह सोचकर आती है।