तर्ज,श्याम तने म्हारे घरा ले चालू रे
श्याम आपा दोन्युं मेला चालां रे,भीड़ घणेरी मेले माही, बाथ्यां घालां रे।
चाले है तो चाल सांवरा,मेलो उल्टियो जावे। तूं बैठयों है मंदिर माही,दुनियां माल उड़ाए।थारा भगतां ने बुलालयां रे।भीड़ घणेरी मेले माही, बाथ्यां घालां रे।
नया नया छ खेल खिलौरा,कांच कडूला मोती।तने दिलाद्यूं अलगोजा और,में ले लेऊं पोथी।आपा गाता गाता चाला रे।भीड़ घणेरी मेले माही, बाथ्यां घालां रे।
सो रुपिया का खुल्ला कराले,दे दे मेला खर्ची।रेवाड़ी की रेवड़ी जी,है दिल्ली की बर्फी।आपा खाता खाता चाला रे।भीड़ घणेरी मेले माही, बाथ्यां घालां रे।
घनो सारको गैर मसालों, चाबा नागर पान। गुम जावेगो साग रहिजे,कहनू मेरो मान।आपा आँगली में आंगलि घाला रे।भीड़ घणेरी मेले माही, बाथ्यां घालां रे।
श्याम बाग की सैर कराऊं, बैठा नींबू नीचे।ठंडी ठंडी भाल चालसी,बाग बिजली सींचे।थोड़ा बैठया रेहवां ठाला रे।भीड़ घणेरी मेले माही, बाथ्यां घालां रे।