तर्ज,सरवारिए के तिर खड़ी
धन-धन भोलेनाथ बांट दिए,तीनो लोक को पल भर में। ऐसो दीनदयाल मेरे शंभू, भरो खजाना पल भर में।
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया, बने वेदके अधिकारी। विष्णु को दिया चक्र सुदर्शन, लक्ष्मी सी सुंदर नारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 इंद्र को दिया कामधेनु और, एरावत सा बलकारी। कुबेर को बना दिया आपने, सारी संपत्ति का अधिकारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 अपने पास वस्त्र नहीं रखा, मग्न रहे बाघाम्बर में। ऐसो दीनदयाल…..
अमृत को तो दिया देवता ने, आप हलाहल पान किया। ब्रह्म ज्ञान दे दिया उसी को, जिसने शिव तेरा ध्यान किया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 भागीरथ को दे दी गंगा,सब जग ने स्नान किया। बड़े-बड़े पापियों को तारा, पल भर में कल्याण किया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आप नशे में मस्त रहो और, पियो भंग नित्य खप्पर में। ऐसो दीनदयाल…
लंका तो रावण को दे दी बीस, भुजा दस शीश दिए। रामचंद्र को धनुष बाण और, हनुमत को जगदीश दिए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मनमोहन को दे दी मोहनी, और मुकुट बख्शीश दिए। मुक्त हुए काशी के वासी भक्तों में जगदीश दिए। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आप मगन हो विभूति रमाई, पुष्प और बेल पत्तर में। ऐसो दीनदयाल….
बिना तो बिना तो नारद को दे दी, हरि भजन का राग दिया। छोटे बड़े सभी भक्तों को, अपना-अपना भाग दिया।🌹🌹🌹🌹🌹 ब्राह्मण को तो कर्मकांड और, सन्यासी को त्याग दिया। जिस पर तुम्हारी कृपा भई, उसी को आंगन राग दिया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 जिसने दिया उसी ने पाया, महादेव तेरे वर में। ऐसो दीनदयाल….
नरतन पाया जतन कर ऐसा, जिससे वह करतार मिले। ऐसी उत्तम योनि पदारथ, फिर नहीं बारंबार मिले।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 भवसागर है कठिन किनारा, और नहीं कोई खिवैया। हरि दीन दयालु दया करोगे, तब पार लगे सबकी नैया। कैलाशी काशी के वासी, हाथ धरो मेरे सर में। ऐसो दीनदयाल…