तर्ज,लेके पहला पहला प्यार
लेकर गोरा जी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ, काशी नगरी से आया है शिव शंकर।
नंदी पर सवार होकर डमरु बजाते, चले आ रहे हैं भोले हरि गुण गाते ।🌙🌙🌙🌙🌙🌙पहने नर मुंडो की माल,ओढ़े ऊपर मृग छाल। काशी नगरी से…
हाथों में त्रिशूल लिए, भस्मी रमाए । झोली गले में डाले, गोकुल में आए।🌙🌙🌙🌙🌙🌙 पहुंचे नंद जी के द्वार, शिव जी बोले बारंबार। काशी नगरी से…
कहां है यशोदा तेरा, कृष्ण कन्हैया। दरस करा दे रानी, लेऊं बलैया।🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙 सुनके नारायण अवतार, आया हूं मैं तेरे द्वार। काशी नगरी से….
देखकर यशोदा बोली, जाओ जाओ जाओ। द्वार पर हमारे नहीं, डमरु बजाओ।🌙🌙🌙 देखेगा सर्पों की माल, डर जावेगा मेरा लाल। काशी नगरी से…
सोया है कन्हैया मेरा, नहीं मैं जगाऊं। बातों में तेरी बाबा, हरगिज़ ना आऊं।🌙🌙🌙🌙🌙 मेरा नन्हा सा गोपाल, तूं कोई जादू देगा डाल। काशी नगरी से…
इतना सुना तो भोला, हंसे खिलखिला कर। बोले यशोदा से वह, डमरु बजा कर।🌙🌙 देखो जाकर अपना लाल, आने को है वह बेहाल ।काशी नगरी से….
इतने में आए मोहन, मुरली बजाते। ब्रह्मा और इंद्र जिनका, पार नहीं पाते।🌙🌙🌙🌙🌙 वही गोकुल में है ग्वाल, घर घर नाच रहे नंदलाल। काशी नगरी से….