पकड़ लो हाथ बनवारी, नहीं तो डूब जाएंगे ।हमारा कुछ ना बिगड़ेगा, तुम्हारी लाज जाएगी।
धरी है पाप की गठरी, हमारे सिर पे यह भारी। वजन पापों का है भारी, इसे कैसे उठाएंगे। पकड़ लो…
तुम्हारे ही भरोसे पर, जमाना छोड़ बैठे हैं ।जमाने की तरफ देखो, इसे कैसे निभाएंगे ।पकड़ लो…
दर्द दिल का कहे किससे, सहारा ना कोई देगा। सुनोगे आप ही मोहन, और किसको सुनाएंगे ।पकड़ लो…
फसी है भंवर में नैया, प्रभु अब डूब जाएगी ।खिवैया आप बन जाओ, तो बेड़ा पार हो जाए। पकड़ लो…
कई भक्तों को तारा है, तो तारों हम पतितो को। तभी तो आप दुनिया में, पतित पावन कहाते हैं।पकड़ लो…
पकड़ लो हाथ बनवारी, नहीं तो डूब जाएंगे ।हमारा कुछ ना बिगड़ेगा, तुम्हारी लाज जाएगी।