तर्ज,आज मेरे यार की शादी है
अपने भक्तों के आंख में आंसू देख न पाते है।कन्हैया दौड़े आते हैं,कन्हैया दौड़े आते हैं।
जहां में शोर है ऐसा,नही कोई श्याम जैसा। ।यहां के मालिक है वो, सबों से वाफिक है वो।धर्म पताका निज हाथों से, प्रभू फहराते है।कन्हैया दौड़े आते हैं…
गए जो भूल इनको,धीर नही उसके मनको।तिजोरी लाख भरी हो,मोटर महल खड़े हो।हीरे मोती पे मेरे भगवन,नही ललचाते हैं।कन्हैया..
याद कर गज की गाथा,पार्थ के रथ को हांका। दीन पांचाली हारी,बढ़ादी उसको साड़ी।ध्रुव प्रहलाद नरसी और मीरा, टेर लगाते हैं।कन्हैया……
प्रभू से मिलना चाहो,प्रेम से हरी गुण गाओ।बनो श्री श्याम दीवाना,प्रेम जो प्रभु का पाना। भगवन ही भक्तों के सारे,काम पटाते हैं।कन्हैया….