बांसुरी बजावे चले टेढ़ी मेढी चाल है, ऐसो री रंगीलो छैलो मदन गोपाल है।
बांसुरी की धुन तीनों लोकन में छाय गई।🌴देव ऋषि नारद मुनिहूं को मन भाए गई।🌴 रिझ्यो जमुना को जल,चंदा भूल्यो चाल है ।ऐसो री रंगीलो…
ध्यान टूट्यो ब्रह्माजी को,समाधिहु छूट गई।🌴 नारद को बिना छुट्यो,पार्वती रूठ गई।🌴🌴 गोपी बन आयो शंकर,नाचे दे दे ताल है।🌴एसो री रंगीलो…
गुंजन में थोडोरी चलाए, नैना बाण है।🌴🌴 तिरछी नजरिया पे,मृदु मुस्कान है।🌴🌴🌴हंसी हंसी गावे,रिखावे प्रेम चाल है।🌴🌴🌴 एसो री रंगीलो…