हे गिरधर गोपाल लाल तूं आजा मेरे आंगना।माखन मिसरी तने खिलाऊं,और झूलाऊं पालना,और झूलाऊं पालना।
में तो अर्जी कर सकता हूं,आगे मर्जी तेरी है।आना हो तो आजा सांवरा, फेर करे क्यों देरी है। मुरली की आ तान सुनाना,चाल न टेढ़ी चालना माखन मिसरी………१
जमुना जल की झारी भरी है,दतवन शीशा कंघा है।वस्त्र पहराऊं रंग रंगीला,मन भावन और चंगा है।खेलन ने तने देऊं खिलौना,आना हो तो आवना।माखन मिसरी…२
कंचन वर्णो थाल सज्यों है,खीर चूरमा बाटकी।दूध मलाई मटकी भरी है,आजा जिमले ठाठकी। तेरी ही मर्जी के माफिक,खाना हो सो खावना।माखन मिसरी…३
धन्ना जाट ने तुम्हे पुकारा,रूखा सुखा खाया तूं। कर्मा बाई ल्याई खिचड़ो, रुच रुच भोग लगाया तूं।मेरी बैर क्यूं रुस के बैठ्यो,भाई ना मेरी भावना।माखन मिसरी..