कर्मों की है ये माया, कर्मों के खेल सारे। कर्मों के इस जहान में क्या क्या अजब नजारे।
कर्मों से ही बनी है,तकदीर आदमी की। इंसा जहां में आता,कर्मो के ही सहारे।
कोई राजा कोई भिक्छु,सब कर्मों के ही तमासे महलों में रहता कोई,कोई फिरता मारे मारे।
कोई संत कोई डाकू,कोई छीने कोई बाटे। कोई जीते सारी दुनिया,और कोई सबसे हारे।
मजदूर कोई भूखा कोई बिन करे ही खाए। कोई रोशनी को तरसे कोई लूटता नजारे।
सब कर्म कि है माया,अबतक कोई न जाने। तुम कर्म ऐसे करना,देवे सभी दुआएं।
कर्मो की है ये माया कर्मों के खेल सारे।