तर्ज, अंखियों के झरोखों से कोई शौक न था खेलने का, हमको खतरों से। पर क्या करें दिल खो गया, उनके ही नजरों में। उन जादूगरी नजरों से जब, मेरे मिल गए नयन। मेरे दिन बदल गए मेरे दिन संवर गए। सारी दुनिया से हार के, पहुंचा जो मैं वृंदावन।सारी दुनिया से हार के, पहुंचा […]