खीली बसंती सरसों खील गए, टेसू और पलाश।रंग रंगीलो रास रसीलो आया फागुन मास।बिखरी खुशियों की सुगंध,आई होली।घर घर आनंद ही आनंद,आई होली।बिखरी खुशियों की सुगंध,घर घर आनंद ही आनंद। ढोल नगाडे,नुक्कड़ बाड़े बाड़े।गली मोहल्ले,खुले भी तलले, गुंज रहे,होली के संग। लाई रंगो उमंगो की फुहार ,सजी-धजी आई होली।लाई रंगो उमंगो की फुहार ,सजी-धजी आई […]