दोहा, देखो समेट के बचपन की यादें, यार से मिलने यार चला। यार आज देखो याद तेरी आई, क्या किस्से थे बचपन के अपने। गुरुकुल की गलियों में लोग कहते थे, दो आंखों के थे एक ही सपने। जानते हो तुम तो मन की सारी बातें, आया तेरे पास चलकर दास तेरा धामा। जाओ पहरेदार […]