ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ अर्धचंद्र जिनके सर साजे, जाता गंग संग उमा विराजे। नाग कंठ में रह इतराते महादेवा। तीन लोक का भार उठाते, कर त्रिशूल धर डमरू नाचे। शमशानों में भस्म रमाते महादेवा। नंदी भृंगी सब संग संग राजे, पिकर हलाहल जग को बचाते। निज भक्तों पर […]