तर्ज, इस योग्य हम कहां हैं चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ। मैं लिखूं भजन तुम्हारे, उन्हें तुम भी गुनगुनाओ।चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ।चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ। यह भाव के हैं मोती, जो तुम ही से मिल रहे हैं। जो नित नए भजन […]