तर्ज, इस योग्य हम कहां हैं
सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है। तेरी बंदगी में आकर तेरा नाम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।
कल तक मुझे ही मुझको, मेरी खबर नहीं थी। स्वार्थ के इस जहां को ,मेरी कदर नहीं थी।कल तक मुझे ही मुझको, मेरी खबर नहीं थी। स्वार्थ के इस जहां को ,मेरी कदर नहीं थी। तेरी कृपा का डंका, सरे आम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।
किस्मत पर था भरोसा, कुछ भी ना हाथ आया। अपनों का क्या करूं मैं ,साया न साथ आया।किस्मत पर था भरोसा, कुछ भी ना हाथ आया। अपनों का क्या करूं मैं ,साया न साथ आया। ख्वाहिश है ना किसी की, मेरा श्याम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।
तीनका भी मैं खरीदूं, इतनी कहां थी हिम्मत। देखा है जब से तूने, तब से जगी है किस्मत।तीनका भी मैं खरीदूं, इतनी कहां थी हिम्मत। देखा है जब से तूने, तब से जगी है किस्मत। हैरान जिंदगी से आराम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।
देखा है जिसने तुमको, आंखों से बंद करके। आंसू गिरे हैं उसके, तुमको ही याद करके।देखा है जिसने तुमको, आंखों से बंद करके। आंसू गिरे हैं उसके, तुमको ही याद करके। आयुष ना भूल इतना, अहसान हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।
सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है। तेरी बंदगी में आकर तेरा नाम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।सोचा ना था कभी जो,वो काम हो गया है।