छोड़ के अपने गोपी ग्वाले कहां गए गिरधारी।छोड़ के अपने गोपी ग्वाले,कहां गये गिरधारी। वृन्दावन में पग पग ढूंढू, में पग धूल तुम्हारी।
क्या समझाऊं प्रेम की पीड़ा, तुम बिन कान्हा, और किसी को। नैना में इतना जल है में भर दूं जमुना जी को।कीजे कान्हा मेरा उस पार है, दर्शन को दिल बेकरार है। कान्हा मेरा उस पार है, दर्शन को दिल बेकरार है।
पूजा है तुमको सबने गोविंद, चाहा बस मैंने। मूरत में सब ढूंढे मन में, पाया बस मैंने।ईश्वर तुमको सब ने माना, मेरे लिए तुम प्रेमी कान्हा। मेरे लिए तुम प्रेमी कान्हा।कृष्णा राधे, दोनों ही आधे, पूरे होंगे दोनों जुड़ के। पंख लगा दो मोहन मुझको आ जाऊं मैं उड़ के।कान्हा मेरा उस पार है, दर्शन को दिल बेकरार है।कान्हा मेरा उस पार है, दर्शन को दिल बेकरार है।