तर्ज, सावन का महीना
मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।
मोर छड़ी की जग ने, महिमा बताई। जग से जो हारा बाबा बना है सहाई।मोर छड़ी की जग ने, महिमा बताई। जग से जो हारा बाबा बना है सहाई। होते बारे न्यारे जो करता है पुकार।उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।
खाटू में सांवेर का धाम है निराला। मोरबी नंदन बैठा बड़ा भोला भाला।खाटू में सांवेर का धाम है निराला। मोरबी नंदन बैठा बड़ा भोला भाला। मोर छड़ी से करता है बाबा चमत्कार।उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।
दिन हीन आकर जो भी, शीश को झुकाते। रसिक कहे बाबा झोली भर जाते।दिन हीन आकर जो भी, शीश को झुकाते। रसिक कहे बाबा झोली भर जाते। मोर छड़ी के आगे झुकते हैं साहूकार।उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।
मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।मोर छड़ी का झाड़ा, जो खाता है एक बार। उसके संग में रहता, मेरा बाबा लखदातार।