खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को।खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को। निकले हैं प्रभु जग कल्याण को। कर लो दर्शन नीलांचल श्याम जी को।
खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को।खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को। निकले हैं प्रभु जग कल्याण को। कर लो दर्शन नीलांचल श्याम जी को।
प्रेम सुधा अमृत बरसाते हैं ,महाप्रभु हर तरफ कृपा लुटाते हैं।प्रेम सुधा अमृत बरसाते हैं ,महाप्रभु हर तरफ कृपा लुटाते हैं। वह करुणा निधान करुणा के सागर हैं। जो सारे जग के स्वामी कहलाते हैं।हर लो हर लो रे संकट सारे जीव को। मन में भर लो सबके भक्ति की प्रीत को।खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को।
यह काया जग मोह माया में जकड़ी। डोर प्रभु अब तेरे रथ की है पकड़ी।यह काया जग मोह माया में जकड़ी। डोर प्रभु अब तेरे रथ की है पकड़ी। बड़े-बड़े प्रभु तेरे नयन प्यारे। जगन्नाथ प्रभु तुम जग के रखवारे। देख नैनो से कर दो उद्धार सभी को। जीवन करने आया समर्पण तुम्ही को।खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को।
खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को।खींचो खींचो रे रथ जगन्नाथ जी को। संग लेकर सुभद्रा बलराम जी को। निकले हैं प्रभु जग कल्याण को। कर लो दर्शन नीलांचल श्याम जी को।