तर्ज, हर बार तेरे दर पर नव गीत सुनाएंगे
खाटू का बनूं पंछी, तेरे दर पर बसेरा हो। नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।खाटू का बनूं पंछी, तेरे दर पर बसेरा हो। नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।
मैं उड़ता फ़िरू देखूं, प्रेमी की कतारो को।मैं उड़ता फ़िरू देखूं, प्रेमी की कतारो को। मैं भी श्याम लगाऊंगा, तेरे जयकारो को। फिर लौट के घर जाऊं जब श्याम अंधेरा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।
ज्यादा ना चाहूं मैं ,बस इतना कर देना।ज्यादा ना चाहूं मैं ,बस इतना कर देना। दुनिया को तो दर देते,मुझे दर पे ही घर देना। कब्जा उस पे बाबा, तेरा और मेरा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।
महलों की खिड़की से, नित रोज निहारू में।महलों की खिड़की से, नित रोज निहारू में। चौखट से निकाल नित दीन, तकदीर संवारू में। भजनों की बूंदो से प्रभु मेरा गुजारा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।
तुम कैद मुझे कर ले, प्रभु प्रेम पिटारे में।तुम कैद मुझे कर ले, प्रभु प्रेम पिटारे में। मुझे उम्र कैद देना, तेरे चौबारे में। आजाद ना हो राहुल ऐसा वक्त सुनहरा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।
खाटू का बनूं पंछी, तेरे दर पर बसेरा हो। नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।खाटू का बनूं पंछी, तेरे दर पर बसेरा हो। नित दिन दीदार करूं, जब श्याम सवेरा हो।