सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।विनती सुन लो।विनती सुन लो,दयालु विनती सुन लो।सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।
म्हारे तो सतगुरु घना रे ,भक्ति करण देना।म्हारे तो सतगुरु घना रे ,भक्ति करण देना। काम क्रोध मत लोभ मोह है, म्हारी सुमता को हर ले।सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।
तृष्णा अपरवल डाकिनी जी, लागे हैं म्हारी लाग।तृष्णा अपरवल डाकिनी जी, लागे हैं म्हारी लाग। कभहत आंखा पे नहीं रे, इन्हें भायों है सब संसार।सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।
सब दीश परस रूप रस गंध, दृश्य है रे पार।सब दीश परस रूप रस गंध, दृश्य है रे पार। अपने अपने स्वाद का यह, मन ना चाहे नाज।सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।
मन मर्कट माने नहीं रे ,दिना बोध उपाय।मन मर्कट माने नहीं रे ,दिना बोध उपाय। ज्यों जों गयो परमार्थ में रे, त्यों त्यों भागों आय।सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।
सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।विनती सुन लो।विनती सुन लो,दयालु विनती सुन लो।सतगुरु साहिब जी ओ ,म्हारी बिनती सुन लो। दयालु राम जी ओ, म्हारी विनती सुन लो।