दोहा,बिगड़ी बनाता है बाबा,हर एक पे रखता है करम। रुणिचा धाम वह धाम है, वह रहता है सबका भरम।
तेरे दर पर आए हैं सुन राम सा ओ पीर, सबकी सुनता है तू मेरी सुन राम सा हे पीर।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।तेरे दर पर आए हैं सुन राम सा ओ पीर, सबकी सुनता है तू मेरी सुन राम सा हे पीर।
राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।
फरियादी की गुजर का, बस तू है एक सहारा। यह सुना है फ़रियों से गुप्तगु है तेरी बाबा।फरियादी की गुजर का, बस तू है एक सहारा। यह सुना है फ़रियों से गुप्तगु है तेरी बाबा। हम तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर बाबा।हम तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर बाबा।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर। तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर ।तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर ।
भटका हूं मैं दर-दर, है बड़े जख्म खाए। चल दिए छोड़कर, मेरे अपनों के साए। मान ली है कोई , जो मंजिल मुझे दिखाएं। मेरी राहें सवारे फिर, किसके दर पर जाएं।हम तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर बाबा।तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर ।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर।राम सा हे पीर बाबा राम सा हे पीर। तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर ।तेरे दर पर आए हैं सुन, राम सा हे पीर ।