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राम भजन लिरिक्स

Hari Mein Khoya by swati mishra,मैं खोया हरि में खोया हूं मैं,ram bhajan

हरी से जागा हरी से सोया। हरि के सपने दिल में संजोया। हरि बिन रोया हूं मैं हरी में खोया हूं मैं। मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं।मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।

हरि तुमने ही बताया कि हर ,प्राणी में है भगवान। हरि कृपा जब हुई है मुझ पर ,तब मैं बना इंसान।हरि तुमने ही बताया कि हर ,प्राणी में है भगवान। हरि कृपा जब हुई है मुझ पर ,तब मैं बना इंसान। हरि के नाम के जल से मन की, मेल के धोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं। मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं।मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।

हरि तुम ही दिखलाओ रास्ता, इस अंधे मन को न जाने कितनों को सताने का, पाप है इस तन में।हरि तुम ही दिखलाओ रास्ता, इस अंधे मन को। न जाने कितनों को सताने का, पाप है इस तन में। अपने वाले इससे कितनों की ,अखियां भिगोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं। मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं।मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।

शरणागत हरि मैं तुम्हारे ,जो करो स्वीकार है। माफ करो या कोई सजा दो, सब तेरा अधिकार है।शरणागत हरि मैं तुम्हारे ,जो करो स्वीकार है। माफ करो या कोई सजा दो, सब तेरा अधिकार है। हरि हरि बोल के हरि की नदी में ,खुद को डुबोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं। मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं।मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।

हरी से जागा हरी से सोया। हरि के सपने दिल में संजोया। हरि बिन रोया हूं मैं हरी में खोया हूं मैं। मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।हरी में खोया हूं मैं।मैं खोया हरि में खोया हूं मैं।

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