खीली बसंती सरसों खील गए, टेसू और पलाश।रंग रंगीलो रास रसीलो आया फागुन मास।बिखरी खुशियों की सुगंध,आई होली।घर घर आनंद ही आनंद,आई होली।बिखरी खुशियों की सुगंध,घर घर आनंद ही आनंद। ढोल नगाडे,नुक्कड़ बाड़े बाड़े।गली मोहल्ले,खुले भी तलले, गुंज रहे,होली के संग। लाई रंगो उमंगो की फुहार ,सजी-धजी आई होली।लाई रंगो उमंगो की फुहार ,सजी-धजी आई होली। कितने रंगों के लगे अंबार, धूम मची आई होली। भरी मारी पिचकारी सारी अंगिया भिगोई। होरी आई देखो होली आई सारा रा रा रा। लाल गुलाल गाल पर मल दे, ग्वाल बाल संग राधा रानी होली खेले। उड़ रहे अबीर गुलाल, नीले पीले लाल लाल। मस्ती में झूमे जन-जन, रंगे एक तन मन। बातें छोड़ो जी सब बेकार, झूमो नाचो आई होली।बातें छोड़ो जी सब बेकार, झूमो नाचो आई होली। खुशियों का मनाओ त्यौहार, बांटो मिठाई आई होली।खुशियों का मनाओ त्यौहार, बांटो मिठाई आई होली।
पीले राम जैसे नीले श्याम जैसे, मुख रंग बिरंगे लगे एक जैसे। कोई सीता बन के कोई राधा बनके ,प्रेम रंग में डूबी अपने-अपने मन के।लाई रंगो उमंगो की फुहार ,सजी-धजी आई होली। कितने रंगों के लगे अंबार, धूम मची आई होली। बातें छोड़ो जी सब बेकार, झूमो नाचो आई होली।खुशियों का मनाओ त्यौहार, बांटो मिठाई आई होली।