भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए।भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए। गोपियों को भी कान्हा खूब सताए हैं।भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए।
नंद गांव से कृष्ण मुरारी, नटखट है वह बांके बिहारी।नंद गांव से कृष्ण मुरारी, नटखट है वह बांके बिहारी। छलिया है वह गिरधर धारी ,राधा को तेरी मुरली प्यारी। नाचे तो कान्हा सबको रिझाये है।भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए।
मोटे नैनन श्याम प्यारे, सबसे सुंदर श्याम हमारे। कानों में कुंडल चमक रहे हैं, मोर पंख माथे में न्यारे। वृंदावन बरसाने में जाए।भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए।
माखन खाये मदन मुरारी, तरण आए सृष्टि सारी। मां यशोदा नजर उतारी, दुनिया सारी गुण तेरा गारी। चरण में तेरी सभी आए।भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए।
भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए।भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए। गोपियों को भी कान्हा खूब सताए हैं।भर पिचकारी कान्हा रंग लगाए, ब्रिज की गलियों में शोर मचाए।