तर्ज, आज मेरे यार की शादी है
आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है। फागुन शुक्ला ग्यारस सबके मन को भाई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।फागुन शुक्ला ग्यारस सबके मन को भाई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।
यह है दरबार निराला, बैठा जहां खाटू वाला। ऐसा सुंदर है सजीला, रूप इसका मतवाला। जो भी आए हैं दर पर, बने उसका रखवाला। झोली जो लाया खाली, सदा उसे भरने वाला। फागण में तो श्याम नाम की मस्ती छाई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।
आज सज धज कर देखो, सिंहासन बैठा बिहारी। सर पर पगड़ी है जाके, कमर में फेटो भारी। गले वैजयंती माला, यह है पीतांबर धारी। सांवली सूरत प्यारी , भूले ना छवि तुम्हारी। रंग रंगीला छैल छबीला, जा की महिमा भारी है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।
आया फागण का मेला, भक्तों का देखो रेला। हाथ में निशान लिए हैं, धाम बाबा के चले हैं। कोई नाचे है छम छम ,कोई कूदे हैं दम दम। सभी ने हाथ लिए हैं ,कोई खड़ताल और चंग। आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।पन्ना की किस्मत का पन्ना, थारे हाथ बिहारी है।
आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है। फागुन शुक्ला ग्यारस सबके मन को भाई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।फागुन शुक्ला ग्यारस सबके मन को भाई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।आज फागण रुत आई है।