तर्ज, कौन दिशा में लेके चला
कौन जतन कर तुझको मनाऊं,कौन जतन कर तुझको मनाऊं,कौन जतन कर तुझको मनाऊं। कहीं रूठ गया मैंने कुछ ना किया, प्यारे कान्हा रे कान्हा रे।कौन जतन कर तुझको मनाऊं,कौन जतन ।
माना हूं मैं बड़ी भोली भाली, करती नहीं तोहै तंग हो। जब जब बजे तोरी मुरलिया, छम छम नाचे मोरा मन हो। मिलने में आऊं तो जलती है सखियां,मिलने में आऊं तो जलती है सखियां, मोहे करती है तंग हो। सांची कहूं मैं झूठ बोलूं ना कन्हैया, लगी प्रीत तोर संग , बोलु खाके कसम,प्यारे कान्हा रे कान्हा रे।
तेरे बिना कहीं लागे ना मनवा, जब से रंगी हूं तेरे रंग हो। ठंडी पवन जो मुझको जलाए, ना रहे तुम जो संग हो। काहे सताए मुझको रुलाए,काहे सताए मुझको रुलाए, मांन भी जा मोहन हो। जो भी कहे तु वही करूं में कन्हैया, मैं हूं तेरी जोगन नहीं लाज शरम,प्यारे कान्हा रे कान्हा रे।
कौन जतन कर तुझको मनाऊं,कौन जतन कर तुझको मनाऊं,कौन जतन कर तुझको मनाऊं। कहीं रूठ गया मैंने कुछ ना किया, प्यारे कान्हा रे कान्हा रे।कौन जतन कर तुझको मनाऊं,कौन जतन ।