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राम भजन लिरिक्स

Raghuvar hamare by jubin nautiyal lyrics,नगरी वो सरजू किनारे जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे,ram bhajan

राम लला हैं राम लला हम,तन है और तुम प्राण समझ लो।द्वार तुम्हारा ना छोड़ेंगे,हमको भी हनुमान समझ लो।


नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारेकह दो ये जाके,कोई चंद्रमा से।आरती प्रभु कि उतारे,नगरी वो सरजू किनारे,
जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।



कोई सावन कि घटा,ऐसे बरसेगी कहाँ।
ऐसे वक्तों के नयन,बेहाने बरसे।
गली गली बिना तेरे,मारे मारे से फिरे।
जैसे अनाथ कोई,ममता को तरसे।
चौदह बरस का वनवास देखा,तब जाके चमकी माथे कि रेखा।नैना ख़ुशी से हैं भीगे भीगे,
दशरथ के ललना पधारे।नगरी वो सरजू किनारे,
जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।
नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।



तूने बिन मांगे हमें,दे दिया रामरत्न।
जो किसी मोल पे,वो बिकता नहीं है।
सांवली तेरी छवि,जब से देखि है हरि,हमें अब और कोई दिखता नहीं है।
धुल अवध कि माथे लगाके,हम हो चुके है रामलला के।आवाज ना दे अब कोई हमको,
ना कोई हमको पुकारे।
नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।





सीताराम सीताराम,सीताराम गाओ।
दुःख सारे बीत गये,मंगल मनाओ।
सीताराम सीताराम,सीताराम गाओ।दुःख सारे बीत गये मंगल मनाओ।
दशरथ के ललना का ,अंगना सजाओ।
सीताराम सीताराम सीताराम गाओ।


दीपावली जो नहीं आज तो क्या,सारे अवध में दीपक जलाओ।सीताराम सीताराम सीताराम गाओ।
बन के भरत पादुकाये उठाओ
हमने प्रतीक्षा में बरसों गुजारे,चलना न रखदे, अयोध्या के द्वारे।नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।

नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे
कह दो ये जाके कोई चंद्रमा से,आरती प्रभु कि उतारे।नगरी वो सरजू किनारे,जहाँ रहते हैं रघुवर हमारे।


ये  भावना के बंधन है,आस्था के नाते हैं,
जब भक्त भगवान तक नहीं आ पाते,
तब भगवान भक्त तक आ जाते हैं ।

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