आपके दर्शन को मेरे राम जी, अखियां तरस रही है।आपके दर्शन को मेरे राम जी, अखियां तरस रही है। पाने को अनमोल यह भक्ति तेरी, कब से बरस रही है। क्या तुम आओगे, या बुलाओगे, बोलो आओगे,या बुलाओगे, कोई तो रास्ता दिखाओ ना।आपके दर्शन को मेरे राम जी, अखियां तरस रही है।
छोड़ चुकी रास्ते सभी, आपकी और चली हूं। सबसे अलग तुम्हारी शरण, कदमों में आपके पड़ी हूं।कदमों में आपके पड़ी हूं। एक बार तो आएगी मुझ पर दया, मन को यह आस लगी है।आपके दर्शन को मेरे राम जी, अखियां तरस रही है।आपके दर्शन को मेरे राम जी, अखियां तरस रही है।
सबके तुम ही हो दीनानाथ, मेरी भी नैया संभालो। मुझ पर दया करके प्रभु ,तकदीर मेरी बना दो।तकदीर मेरी बना दो। देख लो प्यार से मेरी तरफ ,बस काफी इतना ही है।आपके दर्शन को मेरे राम जी, अखियां तरस रही है।पाने को अनमोल यह भक्ति तेरी, कब से बरस रही है। क्या तुम आओगे, या बुलाओगे, बोलो आओगे,या बुलाओगे, कोई तो रास्ता दिखाओ ना।आपके दर्शन को मेरे राम जी, अखियां तरस रही है।
अखियां तरस रही है।कब से बरस रही है।अखियां तरस रही है।अखियां तरस रही है।